सच बोलना न केवल सबसे कठिन काम है, बल्कि सुनना और स्वीकार करना भी मुश्किल है। सत्य हमेशा वास्तविकता दिखाता है, यह हमें वास्तविक चुनौती प्रदान करता है, वास्तविक जानकारी हमें। लेकिन हमारा कमजोर दिल कभी भी सच को स्वीकार नहीं करना चाहता।
साथ ही कई बार हम सच्ची बातें शेयर नहीं करते, सब कुछ छुपा कर झूठ बोलते हैं। हम कार्यस्थल पर परिवार, दोस्तों, प्रियजनों से झूठ बोलते हैं। सच को छुपाना या झूठ बोलना हमें लाभ देता है, हमें कम लाभ देता है, हम अपने आप को अपने गलत कामों से बचाते हैं और हमें खुशी होती है कि कोई भी शरीर इसका पता नहीं लगा सका।
लेकिन सबसे बड़ी कमी यह है कि झूठ बोलकर हम अपनी अंतरात्मा को मारते हैं, हम दया को मारते हैं, हम मानवता को मारते हैं। जितना अधिक हम झूठ बोलते हैं, उतना ही हम लंबे समय में खो देते हैं। हम विश्वास खो देते हैं, हम विश्वसनीयता खो देते हैं, हम प्रेम खो देते हैं, हम आंतरिक शक्ति खो देते हैं।
झूठ
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सच की बिसात मिटायें
झूठ के मोहरे लगाएं
झूठ ही बस पूछे जाएं
झूठ ही सब को बताएं
सच की तो बात सही है
झूठ की हर बात नयी है
झूठ ही में सब सजता है
झूठ में ही सब बिकता है
दिल से क्यों बात कर जाएं
झूठ की दुनिया सजाएं
झूठ से झूठ मिलाएं
झूठ ही सब को बताएं
— बलजीत
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