Hindi Kaagaz

अल्फ़ाज़ ऐसे जो दिलों में आशियाँ बना ले, वही शायरी है।

ति से घिरे हुए हैं। प्रकृति हमारी रक्षा करती है और सब कुछ देती है। प्रकृति हमें प्यार करती है और आंतरिक और बाहरी ऊर्जा देती है।
 
सुबह आती है नया संदेश, नई आकांक्षाएं, नई भावनाएं लेकर। लेकिन कई बार हम इतने थक जाते हैं, निराश हो जाते हैं, खो जाते हैं कि हम कई खूबसूरत सुबह को नजरअंदाज कर देते हैं। हमारे कष्ट, हमारी प्रेरणा की कमी, हमारा अकेलापन इतना शक्तिशाली हो जाता है कि हम सभी अवसरों को अनदेखा कर देते हैं।
 
हम किसी की नहीं सुनते, यहां तक ​​कि हम खुद की भी सुनना बंद कर देते हैं। प्रत्येक सुबह सुंदर है, हमें शक्ति, प्रकाश और शक्ति प्रदान करती है।
 
हर शाम का अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग अर्थ होता है। कुछ लोग इतनी मेहनत करते हैं कि वे बस अपने घर वापस जाना चाहते हैं और अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं। कुछ दोस्तों और परिवार के साथ शाम का आनंद लेना चाहते हैं। कुछ लोगों को अपने दोस्तों, पारिवारिक स्वास्थ्य के मुद्दे की देखभाल के लिए जाना पड़ता है। कुछ लोग तो बस अपनों से मिलने और शाम को उनके साथ रहने के लिए दौड़ पड़ते हैं।
 
सुबह और शाम एक सिक्के के दो अलग-अलग पहलू हैं – जीवन। लेकिन हमें उनका रोजाना सामना करना पड़ता है। सुबह और शाम संभावनाएं नहीं हैं, वे हमें संभावनाएं, सुख, प्यार, स्नेह, पुरस्कार देते हैं।
 
हमेशा अपनी सुबह और शाम के साथ रहें। उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनने दें। आनंद लें और आराम करें।
 
सुबह 

 

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मैं आयी थी, खूब मुस्कराई 

तुम खोये रहे, देखा ही नहीं | 

मैं आयी थी, बुलाया तुम्हे 

तुम चुप थे, बोले ही नहीं | 

मैं आयी थी, छूया तुम्हे 

तुम बेसुध थे, हिले ही नहीं | 

मैं रुकी थी, थोड़ी देर ही 

छुपना पड़ा मुझे, रौशनी से | 

मैं कल फिर आऊँगी , तुम्हारे लिए | 

         —- तुम्हारी  सुबह (बलजीत)

        

 

शाम होते ही

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शाम की बेताबी देखो

निकल पड़ा मैखाने की ओर

शाम की इन्सानियत देखो

निकल चला घर की ओर

शाम की हैवानियत देखो

दोड़ा दवाखाने की ओर

शाम की बेकरारी देखो

हाथ पकड़े कोने की ओर

शाम की इबादत देखो

निकला मंदिर मस्जिद को ओर

शाम तो कमाल है

शाम ही माया जाल है

       — बलजीत