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अल्फ़ाज़ ऐसे जो दिलों में आशियाँ बना ले, वही शायरी है।

दास्ताँ – A Story of a lost battle – Beginning of a new battle for a Victory

आप बहुत प्रतिस्पर्धी, सच्चे, ईमानदार और कभी न हारने वाली भावना से भरे हुए थे। लेकिन कभी-कभी आप लड़ाई और खुद को हार जाते हैं। किसी को नुकसान पहुँचाने की बजाय हार को स्वीकार करना अपने आप में एक जीत है। पीछे हटें, आत्मनिरीक्षण करें और अपनी भावनाओं को साझा करें। सबको बताएं कि आप क्यों हारे और किसने आपको हराया। उन्हें आपको एक विफलता के रूप में देखने दें। किसी को बुरा महसूस करने और किसी को नुकसान पहुंचाने की जरूरत नहीं है। कहीं छिपने की जरूरत नहीं है। तकनीकी के बारे में चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है। यह तुम्हारी आखिरी हार थी। आप जिस धूल का सामना कर रहे हैं उसका आनंद लें। धूल में बैठकर हार के कारणों का पता लगाएं। धूल उड़ाओ, धूल फैलाओ और उसे तुम पर मलने दो। आप मजबूत होंगे। आपने हार और हकीकत को स्वीकार कर लिया है। दुनिया आपका इंतजार कर रही है।
 

 

दास्ताँ 

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उसका इरादा तो पूरा था 

बेसब्र था उसे धूल में मिलाने को 

पर खुद ही धूल में मिल कर 

धूल की है कदर करने लगा वो 

धूल में मिल कर, खूब ही इतरा रहा 

धूल  के बारे में, खूब सबको बता रहा 

धूल  ही गले लगा, अपनी धूल दिखा रहा 

मिट रहा धूल में, धूल से धूल उड़ा रहा 

                                                                               — बलजीत 

 

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Photo by Darius Krause from Pexels