हमारी आकांक्षाओं, सब कुछ हासिल करने के लक्ष्यों ने हमारे जीवन को पूरी तरह से भौतिकवादी बना दिया है। हमें सब कुछ चाहिए बिग हाउस, कार, लग्जरी होटल, पैसा। हम कम से कम संभव तरीके से सब कुछ जल्दी चाहते हैं। इसे हासिल करने के लिए ही हम अपना दिन बिताते हैं। और, दिन-ब-दिन हम और अधिक आक्रामक, तनावपूर्ण और भयभीत होते जाते हैं। हम अपने आप को, अपने परिवार को अपनी आंतरिक शांति को खो देते हैं। हम अपने पर्यावरण, अपनी प्रकृति को देखना भूल जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सोचते हैं कि एक दिन हमारे पास सब कुछ होगा और फिर हम इसका पूरा आनंद लेंगे। लेकिन वह दिन कभी नहीं आएगा। अभी समय है, अब आपका दिन है। प्रकृति से प्यार करें, परिवेश से प्यार करें, अपने परिवार से प्यार करें। वर्तमान में हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारे लिए खुशी से जीने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। नहीं तो एक दिन हमें एहसास होगा कि हमारे पास जीने के लिए कुछ भी नहीं है, चाहे हम कितने भी भौतिकवादी मूल्य हासिल कर लें।
तलाश
दिन के टुकड़े टुकड़े कर दिए
घर,सब और काम के लिए
सुबह, दिन को बाँट दिया
उस आने वाली शाम के लिए
जिस्म तो एक ही था
ख़रीद रहे सब आसमाँ के लिए
बवंडर में चप्पू चला रहे
ठंडे पेड़ की छाँव के लिए
— बलजीत
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